मुरादाबाद, 27 जून . जामिया मिल्लिया इस्लामिया के रिसर्च स्कॉलर मुफ्ती दानिश कादरी ने सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली सामग्री के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. समाचार एजेंसी से बातचीत में उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के फायदों से ज्यादा इसका दुरुपयोग हो रहा है, जिससे समाज में नफरत और तनाव बढ़ रहा है.
मुफ्ती दानिश ने कहा कि सोशल मीडिया पर हर व्यक्ति सक्रिय है और रील्स बनाने की होड़ में लगा है. अगर कोई व्यक्ति अपनी निजी जिंदगी से जुड़ी सामग्री बनाता है, तो यह उसका व्यक्तिगत मामला है. लेकिन धर्म, धार्मिक व्यक्तित्वों, किताबों या प्रथाओं जैसे दाढ़ी, नमाज या अन्य पवित्र चीजों का मजाक उड़ाने वाला वीडियो बनाना पूरी तरह गलत है.
उन्होंने हाल ही में वायरल एक वीडियो का जिक्र किया, जिसमें कुछ लोग काबा में हज या उमरा के दौरान आपत्तिजनक व्यवहार करते हुए रील्स बनाते दिखे. उन्होंने इसे बेहद निंदनीय बताया.
उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति इस्लाम की शिक्षाओं के खिलाफ जाकर धार्मिक प्रथाओं या प्रतीकों का मजाक उड़ाता है, तो यह इस्लाम में स्वीकार्य नहीं है.
मुफ्ती दानिश ने इस तरह की हरकतों को इस्लाम से बाहर माना और कहा कि ऐसे लोग मुस्लिम समुदाय में स्वीकार्य नहीं हैं. उन्होंने सभी धर्मों के लोगों से अपील की कि वे ऐसी सामग्री न बनाएं, जो किसी की भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए.
मुफ्ती दानिश ने जोर देकर कहा कि सोशल मीडिया पर धार्मिक मजाक या अपमानजनक सामग्री से समाज में नफरत और बंटवारा बढ़ता है. उन्होंने फतवों का समर्थन करते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति नमाज, कुरान या इस्लाम की शख्सियतों का मजाक उड़ाता है, तो वह गंभीर परिणाम भुगत सकता है. उन्होंने लोगों से संयम बरतने और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की अपील की.
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एसएचके/जीकेटी
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