दिल्ली, 27 अक्टूबर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि हम सबने देखा कि कैसे आकाश मिसाइल सिस्टम, ब्रह्मोस, आकाश तीर एयर डिफेंस कंट्रोल सिस्टम और अन्य कई प्रकार के स्वदेशी प्लेटफार्म ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपना पराक्रम दिखाया. हमारे स्वदेशी प्लेटफार्म की सफलता ने, न केवल क्षेत्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी, India की साख को बढ़ाया है.
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का श्रेय हमारे सैनिकों के साथ-साथ उन सबको भी जाता है जो पीछे रहकर उस मिशन को सफल बनाने में लगे हुए थे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह Monday को सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) को संबोधित कर रहे थे.
यहां उन्होंने कहा कि आप जैसे इंडस्ट्री वॉरियर्स, जिन्होंने इनोवेशन, डिजाइन और निर्माण के मोर्चे पर काम किया, वह भी इस जीत के उतने ही हकदार हैं. राजनाथ सिंह ने कहा कि हाल ही में पहलगाम हमले के बाद, जिस तरह से हमने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, उसके बाद स्थितियां कुछ ऐसी बनी थीं कि युद्ध हमारे दरवाजे पर भी दस्तक दे रहा था. हालांकि हमारी सेनाएं किसी भी स्थिति में अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं, लेकिन मैं बस यह कहना चाहता हूं कि दुनिया में शांति और कानून व्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ गई है.
उन्होंने कहा कि इसलिए उस अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए, हमें हर क्षेत्र को सावधानी से विश्लेषण करते हुए अपने कदम उठाने होंगे. रक्षा क्षेत्र और युद्ध आज जिन बदलावों से गुजर रहा है, उनका सामना स्वदेशीकरण के माध्यम से ही किया जा सकता है. हमारे लिए रक्षा क्षेत्र केवल आर्थिक ग्रोथ का विषय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संप्रभुता का आधार है. और जब राष्ट्रीय संप्रभुता की बात आती है, तो यह सिर्फ Government की नहीं, बल्कि हर नागरिक, हर संस्थान और हर इंडस्ट्री की साझी जिम्मेदारी बन जाती है. यह बात आज, ऑपरेशन सिंदूर के बाद और भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है.
उन्होंने बताया, “एसआईडीएम को शुरू हुए 9 साल हो गए. 9 वर्षों में ही एसआईडीएम ने इतना शानदार काम किया है कि इससे उम्मीदें बढ़ गई हैं. आप लोगों ने जिस तरह देश के विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में काम किया है, उसके लिए आपकी जितनी सराहना की जाए, उतनी कम है. यदि हमारी आर्मी, नेवी और एयरफोर्स हमारी रक्षा के महत्त्वपूर्ण स्तंभ हैं, तो आप सब, यानी हमारी इंडस्ट्री, भी रक्षा का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ हैं. आत्मनिर्भरता का जो विचार है, वह हमारी Government के लिए सिर्फ एक नारा भर नहीं है, बल्कि India की ही पुरानी परंपरा का आधुनिक रूप है.”
उन्होंने आगे कहा कि इतिहास में एक समय ऐसा भी था जब हमारा लगभग हर गांव अपने आप में इंडस्ट्री था. India सोने की चिड़िया इसलिए कहलाता था क्योंकि हम अपनी जरूरतों के लिए बाहर की ओर नहीं देखते थे, उसे अपनी ही जमीन पर पूरा करते थे. निर्माण और उच्च तकनीकी में स्वदेशीकरण को प्राथमिकता देकर हमने उसी परम्परा को आधुनिक रूप देने का प्रयास किया है. Government ने निजी क्षेत्र पर भी भरोसा जताया है, और उसी का परिणाम है कि आज हम सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन जैसे आवश्यक और महत्वपूर्ण क्षेत्र में भी मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं. आज देशभर में लगभग 10 फैब्रिकेशन प्लांट स्थापित हो रहे हैं.”
रक्षामंत्री ने कहा कि किसी भी युद्ध जैसी स्थिति के लिए हमें न केवल तैयार रहना है, बल्कि हमारी तैयारी अपनी खुद की बुनियाद पर होनी चाहिए. मुझे इस बात की खुशी होती है, कि हमारी डिफेंस इंडस्ट्री इस दिशा में मजबूती से कदम आगे बढ़ा चुकी है.
रक्षामंत्री ने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने जो मेहनत की, उसका परिणाम यह है, कि हमारा घरेलू रक्षा उत्पादन, जो 2014 में जहां, मात्र 46,425 करोड़ रुपये था, वहीं आज यह बढ़कर रिकॉर्ड 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है. बड़ी बात यह है, कि इसमें से 33,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान निजी क्षेत्र से आना, यह दर्शाता है कि आत्मनिर्भर India के इस अभियान में निजी उद्योग भी भागीदार बन रहे हैं.”
राजनाथ सिंह के मुताबिक निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी का ही परिणाम है कि India का रक्षा निर्यात, जो दस वर्ष पहले 1,000 करोड़ रुपये से भी कम था, आज वह बढ़कर रिकॉर्ड 23,500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. Government भी अपने स्तर पर प्रयास कर रही है. रक्षामंत्री ने कहा कि हमने घरेलू वेंडर्स को प्रोमोट करने के हरसंभव प्रयास किए हैं.
–
जीसीबी/एएस
You may also like

Delhi chhath puja: पीएम मोदी कल छठ पूजा में होंगे शामिल, दिल्ली के इस घाट पर जोरशोर से चल रहीं तैयारियां

बिहार चुनाव: तेजस्वी यादव के वादों पर बीजेपी की MLA ने क्या कह दिया, रात में सपने देखकर सुबह देते हैं बयान!

लॉरेन्स विश्नोई गैंग का सदस्य अमेरिका में डिटेन, राजस्थान एजीटीएफ की बड़ी सफलता — प्रत्यर्पण की प्रक्रिया जारी

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा, ध्वज और कलश स्थापित

देश के किन राज्यों में होगा एसआईआर, कौन से दस्तावेज़ होंगे मान्य?




