मदुरै (तमिलनाडु): हाल ही में मदुरै में आयोजित मुरुगन भक्तों का सम्मेलन पूरे तमिलनाडु में चर्चा का विषय बन गया है। धर्म, संस्कृति और राजनीति का संगम माने जा रहे इस आयोजन में पांच लाख से ज़्यादा लोग शामिल हुए।
इस कार्यक्रम का आयोजन हिंदू मन्नानी (RSS से जुड़ा संगठन) ने किया। यह आयोजन तमिलनाडु की आध्यात्मिक परंपराओं और सनातन धर्म की पहचान को सामने लाने पर केंद्रित था।
बीजेपी नेताओं की मौजूदगी22 जून को हुए इस सम्मेलन में बीजेपी तमिलनाडु अध्यक्ष नैणार नागेंद्रन और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई जैसे बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया। इसी वजह से इसे चुनाव से पहले एक राजनीतिक संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है।
कोर्ट के निर्देश और विवादमदुरै बेंच ऑफ मद्रास हाईकोर्ट ने कार्यक्रम के लिए 52 शर्तें रखी थीं और साफ कहा था कि राजनीतिक या भड़काऊ धार्मिक भाषण नहीं होने चाहिए।
लेकिन सम्मेलन के दौरान कुछ राजनीतिक बयान दिए जाने के आरोप लगे। इससे विवाद और बढ़ गया। कार्यक्रम में दिखाई गई एक वीडियो प्रस्तुति को भी कुछ लोगों ने बीजेपी की सांस्कृतिक सोच को बढ़ावा देने वाला बताया।
सरकार बनाम बीजेपीसम्मेलन के बाद बीजेपी ने डीएमके सरकार पर हमला बोला और आरोप लगाया कि सरकार धार्मिक अभिव्यक्ति को दबा रही है। बीजेपी ने इसे “साइलेंट इमरजेंसी” करार दिया।
पुलिस ने नैणार नागेंद्रन, के. अन्नामलाई और हिंदू मन्नानी के कडेस्वरा सुब्रमणियन सहित कई नेताओं पर केस दर्ज किया है।
बीजेपी का पलटवारबीजेपी प्रवक्ता ए.एन.एस. प्रसाद ने एफआईआर पर सवाल उठाते हुए कहा –
“यह आयोजन शांतिपूर्ण और भक्तिमय था। सरकार की कार्रवाई पूरी तरह राजनीतिक बदले की भावना से की गई है।”
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