आमतौर पर गर्भावस्था के अंतिम महीनों में बच्चे का जन्म होता है, लेकिन अमेरिका में एक महिला ने नौ साल तक गर्भ में भ्रूण को रखा। यह मामला तब सामने आया जब महिला को पेट में दर्द हुआ और डॉक्टरों ने उसे दिखाया। इस दौरान पता चला कि भ्रूण का विकास रुक गया था और वह अब जीवित नहीं था।
महिला की दुर्लभ बीमारी
महिला, जो कांगो की निवासी थी, ने 28वें हफ्ते में महसूस किया कि भ्रूण अब हिल नहीं रहा है। डॉक्टरों ने बताया कि भ्रूण की सांसें थम चुकी हैं, लेकिन महिला ने गर्भपात कराने से मना कर दिया। इसके बाद वह मंदिर गई और प्रार्थना की।
हाल ही में अमेरिका आने के बाद, महिला को पेट में तेज दर्द हुआ और अस्पताल में जांच के दौरान पता चला कि भ्रूण अब पत्थर की तरह हो गया है। यह स्थिति उसके आंतों के पास फंसने के कारण हुई थी, जिससे वह कुपोषण का शिकार हो गई।
लिथोपेडियन: एक दुर्लभ चिकित्सा स्थिति
डॉक्टरों के अनुसार, जब भ्रूण गर्भाशय के बजाय पेट में विकसित होता है, तो इसे लिथोपेडियन कहा जाता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब भ्रूण गर्भावस्था के दौरान मर जाता है और शरीर उसे बाहर नहीं निकाल पाता।
इस प्रकार के मामलों की संख्या विश्व में केवल 290 है, और पहली बार 1582 में फ्रांस में इस तरह की घटना दर्ज की गई थी।
इस स्थिति के कारण
जब भ्रूण गर्भ के बाहर विकसित होता है और मर जाता है, तो उसके चारों ओर कैल्शियम की परत जम जाती है, जिससे वह पत्थर जैसा हो जाता है। इसे 'स्टोन बेबी' भी कहा जाता है। यह स्थिति मां के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है, और कभी-कभी इससे मृत्यु भी हो सकती है।
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