भारतीय रेलवे के लोको पायलटों के नियम: भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधा के लिए निरंतर नई योजनाएँ बनाती रहती है। रेलवे द्वारा टिकट की कीमतें विभिन्न श्रेणियों के यात्रियों के लिए निर्धारित की गई हैं। इसके साथ ही, ट्रेन में यात्रियों की सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखा गया है, जैसे सोने, बैठने, और बाथरूम की सुविधाएँ। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब ट्रेन का लोको पायलट ट्रेन चला रहा हो और उसे टॉयलेट जाने की आवश्यकता हो, तो वह क्या करता है?
लोको पायलट भी एक इंसान होते हैं और उन्हें भी समय-समय पर टॉयलेट जाने की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में भारतीय रेलवे ने एक विशेष नियम बनाया है। यदि आप इस नियम के बारे में नहीं जानते हैं, तो आइए हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
ट्रेन चलाते समय लोको पायलट के नियम
यात्रा के दौरान लोगों को टॉयलेट जाना आवश्यक होता है। इसके लिए भारतीय रेलवे ने हर बोगी में वॉशरूम की सुविधा उपलब्ध कराई है। लोको पायलट के लिए एक विशेष नियम है कि ट्रेन चलाने से पहले उन्हें फ्रेश होना आवश्यक है। इसके बाद, उन्हें लगातार 3 से 4 घंटे तक ट्रेन चलानी होती है। इस दौरान यदि उन्हें टॉयलेट की आवश्यकता होती है, तो उन्हें इसे सहन करना पड़ता है।
यह नियम इसलिए बनाया गया है ताकि ट्रेन चलाते समय उन्हें किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े। यदि किसी लोको पायलट को इमरजेंसी में टॉयलेट जाने की आवश्यकता होती है, तो उन्हें कंट्रोल रूम से अगले स्टेशन पर ट्रेन रोकने की अनुमति मिलती है। अनुमति मिलने पर ट्रेन रुकती है और वह जाकर फ्रेश हो सकते हैं।
भारतीय रेलवे के कई नियम यात्रियों और स्टाफ की सुविधा के लिए बनाए गए हैं। चाहे ये नियम यात्रियों के लिए हों या स्टाफ के लिए, सभी को इनका पालन करना होता है। लोको पायलट की ड्यूटी 8 घंटे की होती है, लेकिन यदि उन्हें बीच में टॉयलेट जाना हो, तो उन्हें कम से कम 3-4 घंटे तक ट्रेन चलाना होता है।
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