कैंसर का नाम सुनते ही कई लोगों में चिंता बढ़ जाती है। विशेष रूप से पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के मामले अधिक देखे जाते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे शरीर में फैलती है और अक्सर प्रारंभिक चरण में इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते। यदि समय पर पहचान हो जाए, तो इसका उपचार संभव है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाले कैंसर के मामलों में सबसे अधिक है। हर साल लाखों पुरुष इस बीमारी का शिकार होते हैं। इसके निदान के लिए प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन (PSA) टेस्ट और डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन (DRE) की आवश्यकता होती है। आइए जानते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण क्या हैं और इसके उपचार के विकल्प क्या हैं।
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
1. पेशाब करने में कठिनाई: यदि पेशाब करते समय जोर लगाना पड़ता है या प्रवाह कमजोर है, तो यह प्रोस्टेट कैंसर का संकेत हो सकता है।
2. बार-बार पेशाब आना: रात में बार-बार पेशाब के लिए उठना भी एक लक्षण हो सकता है।
3. पेशाब अचानक रुक जाना: पेशाब करते समय अचानक रुक जाना एक गंभीर समस्या है।
4. पेशाब या स्पर्म में खून आना: यह भी एक गंभीर स्थिति है और इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
5. पेल्विक क्षेत्र में दर्द: कमर के निचले हिस्से में दर्द होना भी एक संकेत हो सकता है।
6. वजन में कमी और थकान: बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन कम होना और अत्यधिक थकान महसूस करना भी लक्षण हो सकते हैं।
प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के तरीके
1. सर्जरी: यह प्रोस्टेट कैंसर के उपचार का सबसे सामान्य तरीका है, जिसमें प्रोस्टेट ग्रंथि को पूरी तरह या आंशिक रूप से हटाया जाता है।
2. रेडिएशन चिकित्सा: यह उच्च ऊर्जा वाली तरंगों का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करता है।
3. हार्मोनल थेरेपी: यह टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन को कम करके कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकता है।
4. कीमोथेरपी: यह दवाओं का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करता है।
5. इम्यूनोथेरेपी: यह शरीर की इम्यूनिटी को कैंसर से लड़ने में मदद करने के लिए दवाओं का उपयोग करता है।
प्रोस्टेट कैंसर का खतरा किसे है?
प्रोस्टेट कैंसर किसी भी उम्र के पुरुषों को हो सकता है, लेकिन कुछ पुरुषों में इसका खतरा अधिक होता है:
- 50 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष।
- जिनके परिवार में पहले से प्रोस्टेट कैंसर का इतिहास है।
- अधिक वजन वाले पुरुष।
हेल्थलाइन के अनुसार, 40 वर्ष से कम उम्र के पुरुषों में यह कैंसर दुर्लभ है। 45-50 वर्ष की उम्र के बाद नियमित जांच कराना महत्वपूर्ण है।
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