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बिहार विधानसभा: चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस, अब तक की बड़ी बातें जानिए

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image Santosh Kumar/Hindustan Times via Getty Images बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) मतदाताओं के दस्तावेजों का सत्यापन करते हुए

बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज़ हैं. पार्टियों के बीच साधे जा रहे सीटों के समीकरण के बीच भारतीय निर्वाचन आयोग ने एसआईआर यानी गहन मतदाता पुनरीक्षण के आंकड़े भी जारी कर दिए हैं.

इसके मुताबिक़, बिहार में अब 7.42 करोड़ मतदाता हैं.

रविवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू हो हुई.

इसकी शुरुआत में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार में सफलता के साथ एसआईआर की प्रक्रिया पूरी हुई है.

बिहार में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले चुनाव आयोग ने एसआईआर शुरू किया था. इसकी टाइमिंग को लेकर विपक्षी दलों ने कई सवाल उठाए जबकि चुनाव आयोग ने इसे वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने की प्रक्रिया करार दिया.

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बिहार में चुनाव कब होंगे?

अब ऐसा माना जा रहा है कि निर्वाचन आयोग जल्द ही चुनाव के तारीखों की घोषणा करेगा और इसके साथ ही राज्य में आचार संहिता लग जाएगी.

बिहार विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को ख़त्म हो रहा है. ऐसे में राज्य में चुनाव नवंबर तक होने हैं.

पिछला विधानसभा चुनाव (2020) कोरोना महामारी के साये में तीन चरणों में 28 अक्तूबर से 7 नवंबर के बीच हुआ था.

भारत में कोरोना महामारी के दौरान का ये पहला बड़ा चुनाव था और कई तरह के दिशानिर्देश इसको लेकर जारी किए गए थे.

image X/@ECISVEEP आधार कार्ड पर क्या बोले मुख्य चुनाव आयुक्त?

आधार कार्ड से जुड़े एक सवाल के जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार बोले, ''सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों के अनुसार, आधार एक्ट के तहत न तो इसे जन्मतिथि का प्रमाण माना जा सकता है, न निवास का, और न ही नागरिकता का. आधार केवल पहचान का प्रमाण है, नागरिकता या जन्म का नहीं.''

उन्होंने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम यह मानते हैं कि आधार कार्ड पहचान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसे नागरिकता या जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में नहीं माना जा सकता. आधार एक्ट की धारा 9 में भी साफ़ लिखा है कि आधार किसी व्यक्ति की नागरिकता या निवास का प्रमाण नहीं है."

''इसलिए, जो लोग 18 वर्ष से अधिक आयु का प्रमाण देने के लिए केवल आधार कार्ड दिखाते हैं, उनके लिए यह पर्याप्त नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, लेकिन पात्रता या आयु से जुड़ी पुष्टि के लिए अन्य दस्तावेज़ों की भी आवश्यकता होगी.''

2020 के बाद की राजनीति में क्या हुआ? image Santosh Kumar/Hindustan Times via Getty Images 5 सितंबर 2025 को कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम में बिहार के सीएम नीतीश कुमार

राज्य में 2020 के चुनाव के बाद एनडीए की सरकार बनी, लेकिन अगस्त 2022 में बीजेपी से रिश्ता तोड़ते हुए नीतीश कुमार ने महागठबंधन का दामन थाम लिया.

बीजेपी और जेडीयू के रिश्ते इतने तल्ख़ हो गए थे कि नीतीश कुमार ने ये बयान तक दिया कि वो मरना पसंद करेंगे लेकिन बीजेपी के साथ कभी नहीं जाएंगे.

वहीं, दूसरी तरफ़ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि नीतीश कुमार के लिए एनडीए के दरवाज़े हमेशा के लिए बंद हो गए हैं.

लेकिन जैसा कि राजनीति में कुछ भी अंतिम सत्य नहीं होता है, उसी क्रम में चीजें एक बार फिर बदल गईं.

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन तैयार करने की कोशिश में जुटे चेहरों में नीतीश कुमार अहम नेता माने जा रहे थे.

लेकिन जनवरी, 2024 में वो एक बार फिर एनडीए में शामिल हो गए और आरजेडी से अपनी राहें अलग कर लीं.

साल 2015 का विधानसभा चुनाव जेडीयू और राष्ट्रीय जनता दल ने मिलकर लड़ा था और बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी. तब ये गठजोड़ 2017 में टूट गया था.

बिहार विधानसभा की स्थिति क्या है?

बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए किसी दल या गठबंधन के पास 122 सीटें होना ज़रूरी है.

बिहार में फ़िलहाल जेडीयू और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के घटक दलों वाली एनडीए सरकार है और आरजेडी के तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं.

बिहार विधानसभा में अभी बीजेपी के 80 विधायक हैं, आरजेडी के 77, जेडी(यू) के 45 और कांग्रेस के 19 विधायक हैं.

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्ससिस्ट-लेनिनिस्ट) (लिबरेशन) के 11, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के 4, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) के 2, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के 2, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के 1 और 2 निर्दलीय विधायक हैं.

कौन-कौन से गठबंधन मैदान में हैं?

राज्य में इस बार भी अहम मुक़ाबला एनडीए बनाम महागठबंधन के बीच माना जा रहा है.

एनडीए में जेडीयू, बीजेपी, एलजेपी (आर), जीतनराम मांझी की हम (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा जैसे दल हैं.

वहीं महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई (माले), विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), जेएमएम और राष्ट्रीय एलजेपी शामिल हैं.

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम इन दोनों गठबंधन में से किसी का भी हिस्सा नहीं है. 2020 के चुनाव में उनकी पार्टी पांच सीटों पर चुनाव जीतने में सफल रही थी, लेकिन बाद में उनकी पार्टी के चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे.

image Santosh Kumar/Hindustan Times via Getty Images बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने केंद्रीय मंत्री और बिहार बीजेपी के इलेक्शन इंचार्ज धर्मेंद्र प्रधान से 28 सितंबर को मुलाक़ात की सीट बंटवारा और नए खिलाड़ी कौन हैं?

अभी तक न तो एनडीए ने और न ही महागठबंधन ने सीट बंटवारे के आंकड़े जारी किए हैं. दोनों प्रमुख गठबंधनों में सीट शेयरिंग पर पेच फंसता दिख रहा है.

सीट बंटवारे को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है. दोनों गठबंधनों में शामिल छोटे दल 'सम्मानजनक सीटों' के लिए अपना दावा पेश कर रहे हैं.

नीतीश कुमार की ख़राब सेहत की ख़बरों, जेडीयू में उत्तराधिकारी पर अटकलों और प्रशांत किशोर की एंट्री और रह-रह कर चिराग पासवान के चुनाव लड़ने की ख़बरों से चुनाव और दिलचस्प होता जा रहा है.

नीतीश कुमार से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाले प्रशांत किशोर से बीबीसी ने एक इंटरव्यू में जब ये सवाल किया था कि उनको कितनी सीटों पर जीत का भरोसा है तो उनका कहना था कि या तो उनकी पार्टी अर्श पर होगी या फर्श पर.

उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी और वो बेरोजगारी, पलायन और शिक्षा के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी.

इसके अलावा बिहार में एक और नई पार्टी का उदय हुआ है. तीन महीने पहले आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को उनकी एक फ़ेसबुक पोस्ट के बाद पार्टी से निकाल दिया था. अब उन्होंने अपनी एक नई पार्टी बना ली और इसका नाम रखा है जनशक्ति जनता दल.

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चुनाव के मुख्य मुद्दे क्या हैं? image Santosh Kumar/Hindustan Times via Getty Images पटना में महागठबंधन ने अति पिछड़ा न्याय संकल्प जारी किया

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए यह कहकर मैदान में उतर रही है कि उसने राज्य का हर तरह से विकास किया है और युवाओं को रोजगार देने के साथ-साथ लड़कियों-महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं.

वहीं, महागठबंधन रोजगार, पेपर लीक समेत एसआईआर को लेकर एनडीए को घेर रही है और युवाओं से सरकारी नौकरियां तथा रोजगार सृजन समेत कई वादे कर रही है.

राज्य में तेजस्वी यादव के साथ 'वोट अधिकार यात्रा' करते हुए राहुल गांधी ने लगातार एसआईआर और 'वोट चोरी' का मुद्दा उठाया.

हालांकि, बीजेपी और जेडीयू इसे विपक्षी दलों की हताशा वाली राजनीति बता रही है और उनका आरोप है कि अगर महागठबंधन की सरकार बनी तो राज्य का विकास रुक जाएगा.

अब तक कितने विधानसभा चुनाव हो चुके हैं?

1952 से बिहार में विधानसभा चुनाव की शुरुआत हुई थी. इसके बाद से 2020 तक बिहार में 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं.

साल 2005 की फ़रवरी में हुए चुनाव में सरकार नहीं बन पाने के कारण अक्तूबर में फिर से चुनाव आयोजित करने पड़े थे.

आज़ादी के बाद पहले चुनाव में क्या हुआ था? image http://postagestamps.gov.in/ साल 2016 में भारत सरकार ने बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिन्हा की याद में एक डाक टिकट जारी किया था

आज़ादी के बाद पहली बार हुए 1951 के चुनाव में कई पार्टियों ने भाग लिया, लेकिन कांग्रेस ही उस समय सबसे बड़ी पार्टी थी.

इन चुनाव में कांग्रेस को 322 में से 239 सीटें मिली थीं.

1957 के चुनाव में भी कांग्रेस ही सबसे बड़ी पार्टी बनी. उसे 312 में से 210 सीटें मिली थीं.

1962 के चुनाव में कांग्रेस को 318 में से 185 सीटों के साथ बहुमत हासिल हुआ था. उसके बाद स्वतंत्र पार्टी को सबसे ज़्यादा 50 सीटें मिली थीं.

श्री कृष्ण सिन्हा बिहार के पहले मुख्यमंत्री बने थे.

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