कई बार इस बात पर लोगों के बीच बहस होती है कि चावल खाना सेहत के लिए ज़्यादा अच्छा है या रोटी. कई लोग डिनर में चावल और रोटी दोनों ही खाते हैं. उन्हें इसमें एक तरह का संतुलन भी दिखता है.
हालांकि ये दोनों ही अनाज हैं और चावल या रोटी खाना आमतौर पर इलाक़े के लिहाज से तय होता है. मसलन बिहार, पश्चिम बंगाल या ओडिशा जैसे राज्यों में चावल लोगों का प्रमुख भोजन होता है, जबकि पंजाब या मध्य प्रदेश समेत कुछ अन्य इलाक़ों में लोग रोटी पसंद करते हैं.
हालांकि विशेषज्ञ इस बात पर बहस को महज़ चावल और रोटी के आधार पर नहीं देखते हैं.
आपके डिनर की थाली में रोटी होनी चाहिए या चावल यह कई बातों पर निर्भर करता है. यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप किस तरह का चावल या रोटी खा रहे हैं.
- गली क्रिकेट, भारत-पाकिस्तान मैच और शोर सियासत का : मोहम्मद हनीफ़ का ब्लॉग
- पाकिस्तान के ज़िया-उल-हक़ क्या 1970 में 'फ़लस्तीनियों के जनसंहार' में शामिल थे?
- यूसुफ़ पठान पर गुजरात हाई कोर्ट ने की तल्ख़ टिप्पणी, क्या है पूरा मामला

हमारी थाली में चावल हो या रोटी, इन दोनों में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है. आमतौर पर माना जाता है कि रोटी में चावल की तुलना में कम कार्बोहाइड्रेट होता है, इसलिए सेहत के लिहाज़ से यह ज़्यादा बेहतर है.
'डायटिक्स फ़ॉर न्यूट्रिफ़ाई टुडे' की प्रमुख और बॉम्बे में रहने वाली डायटिशियन नाज़नीन हुसैन कहती हैं, "अगर आप मोटे आटे या ज़्यादा फ़ाइबर वाली रोटी खाते हैं तो ठीक है, लेकिन अगर आप बिल्कुल रिफ़ाइन आटे की रोटी खा रहे हैं तो यह चावल के ही समान है और इसे खाने पर भी शुगर लेवल तेज़ी से बढ़ता है."
उनका कहना है कि लंबे पॉलिश वाले चावल खाना सेहत के लिए ठीक नहीं है लेकिन बिना पॉलिश वाले छोटे चावल इस लिहाज़ से बेहतर हैं.
फ़ाइबर को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर या डायटिशियन कई बार लोगों को ब्राउन राइस या बिना पॉलिश वाले चावल खाने की सलाह देते हैं.
एक और सलाह यह दी जाती है कि चावल को दाल, दही या सब्ज़ी के साथ खाएं. चावल की खिचड़ी या पुलाव बनाकर खाने से भी यह शरीर के लिए बेहतर है.
दिल्ली के गंगाराम हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर एम. वली कहते हैं, "आज हम जिस तरह का चिकना आटा खा रहे हैं, वह चीनी, मैदा और नमक की तरह ही सफ़ेद ज़हर बनता जा रहा है."
"हमारे खाने के तरीक़े में यह भी ग़लत है कि हम रोटी ज़्यादा और सब्ज़ी कम खाते हैं. आप चावल के साथ ज़्यादा सब्ज़ी खाते हैं तो इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बेहतर हो जाता है यानी इससे बना शुगर शरीर में धीरे-धीरे घुलता है. इस तरह यह रोटी से बेहतर हो जाता है."
डॉक्टर वली का कहना है कि अगर आप रोटी के आटे को भी हरी पत्तेदार सब्ज़ियों या लौकी में गूंथ दें, यानी केवल आटे की ही रोटी न हो, तो इसे भी बेहतर बनाया जा सकता है.
- क्या प्रोटीन को लेकर हमारा जुनून ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ चुका है?
- कुछ शव दफ़नाए जाने के लंबे समय बाद भी क्यों नहीं सड़ते? जानिए वजह धार्मिक है या वैज्ञानिक
- हेल्थ और लाइफ़ इंश्योरेंस हुए टैक्स फ्री, जानिए पॉलिसीहोल्डर्स को होगा कितना फ़ायदा

चावल और रोटी में बुनियादी अंतर यह है कि जिसे ज़्यादा ऊर्जा की ज़रूरत हो, उसके लिए चावल बेहतर है. जैसे ज़्यादा शारीरिक परिश्रम करने वालों के लिए चावल बेहतर है.
लेकिन अगर आप ज़्यादा भोजन करने से बचना चाहते हैं या ज़्यादा बार खाना नहीं चाहते हैं तो आपके लिए रोटी बेहतर विकल्प है, क्योंकि इसमें ज़्यादा फ़ाइबर होता है. इससे पेट देर तक भरा हुआ महसूस होता है.
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की डायटिशियन माला मनराल कहती हैं, "रोटी को भी आप अच्छे प्रोटीन के साथ लें तो बेहतर होगा. जो लोग नॉन-वेज खाते हैं, उनके लिए कई सारे ऑप्शन हैं और जो वेज हैं, वो रोटी के साथ सब्ज़ी या दाल वग़ैरह ले सकते हैं."
माला मनराल कहती हैं, "आपको क्या खाना चाहिए, यह आपके काम और लाइफ़स्टाइल पर निर्भर करता है. अगर आप सीटिंग जॉब करते हैं तो आपको कम कैलरी की ज़रूरत होती है. ऐसे लोगों को हम रोटी खाने की सलाह देते हैं, क्योंकि ऐसे लोग ज़्यादा चावल खाएं तो मोटापे का ख़तरा होता है."

माला मनराल कहती हैं, "हर व्यक्ति की शारीरिक सक्रियता और उम्र के लिहाज़ से उसे एक निश्चित मात्रा में कैलरी की ज़रूरत होती है. मान लिया जाए किसी को 1600 किलो कैलरी की ज़रूरत है तो हम ध्यान रखते हैं कि उसे इसकी 60% मात्रा कार्बोहाइड्रेट से मिले, 20% प्रोटीन और क़रीब 20% फ़ैट या वसा हो."
इसमें कार्बोहाइड्रेट के लिए रोटी, चावल, इडली, उपमा और प्रोटीन के लिए दाल या मांसाहारियों के लिए अंडे जैसी चीज़ें शामिल हैं.
किसी शख़्स को चावल खाना चाहिए या रोटी, यह बहुत हद तक उसकी सेहत पर भी निर्भर करता है. आमतौर पर डायबिटीज यानी शुगर के मरीज़ों को चावल खाने से बचने और ज़्यादा फ़ाइबर वाले भोजन करने की सलाह दी जाती है.
यहां एक बात ज़रूर ध्यान देने लायक है कि फ़्रीज़ में रखे हुए चावल को फ़ाइबर कंटेंट के लिहाज़ से बेहतर माना जाता है.
नाज़नीन कहती हैं, "चावल को फ़्रिज में रखने से इसका रेसिस्टेंस स्टार्च फ़ाइबर में बदल जाता है. यानी इसे खाने से शुगर की मात्रा अचानक नहीं बढ़ती है."

क्या किसी क्षेत्र के लिहाज से भी लोगों का भोजन तय होता है?
माना जाता है कि बचपन से जिस चीज को खाने की आदत होती है, आमतौर पर उसे पचा पाना हमारे लिए ज़्यादा आसान होता है और वही भोजन हमें संतुष्टि भी देता है.
नाज़नीन हुसैन, "जिस इलाक़े में जिस चीज का उत्पादन होता है, वह वहां का मुख्य भोजन होता है और सामान्य तौर पर लोगों को ऐसा ही भोजन करना चाहिए."
मसलन कश्मीर के लोगों के लिए चावल प्रमुख भोजन होता है, उनके लिए रोटी को चावल से बेहतर नहीं बताया जा सकता है.
डॉक्टर वली कहते हैं, "मैं यह देखता हूं कि कई इलाक़े में लोग रोटी पकाना तक नहीं जानते हैं. आप भारत में देखें तो ज़्यादातर लोग चावल खाते हैं. दक्षिण भारत में तो शुगर पेशेंट भी चावल खाते हैं, लेकिन इस चावल में कई चीज़ें मिलाकर पकाई जाती हैं जिससे इसे हजम करने में पैंक्रियाज़ पर ज़्यादा दबाव नहीं पड़ता है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
- वीगन और शाकाहारी होने के क्या नुक़सान हैं?
- ज्वाला गुट्टा ने डोनेट किया ब्रेस्ट मिल्क, इसे लेकर क्या कहते हैं नियम और कौन कर सकता है दान?
- ब्रेन ईटिंग अमीबा से केरल में कम से कम 18 मौतें, क्या है यह बीमारी और कैसे होता है इलाज?
- जापान में लंबी ज़िंदगी का राज़: सौ साल से ज़्यादा उम्र की औरतों की इतनी ज़्यादा संख्या कैसे?
You may also like
भारतीय रेलवे में निकली नई वैकेंसी, सेक्शन कंट्रोलर के लिए करें आवेदन
Rajasthan: 'वोट चोर गद्दी छोड़ अभियान' में कांग्रेस नेता बना रहे दूरी, डोटासरा ने कहा दिल्ली भेजेंगे रिपोर्ट
ना रोटी, ना चावल… सिर्फ 'इंजन ऑयल' पीकर जिंदा है कर्नाटक का ये शख्स
अगर आप भी लोन लेने की सोच रहे हैं, तो हो जाइए सावधान! जानिए लाखों की धोखाधड़ी से जुड़ी सच्ची घटना।
जानें भारत के टॉप 10 शहरों के बारे में जहां रहते हैं सबसे ज्यादा करोड़पति, दिल्ली मुंबई में रहते हैं इतने करोड़पति लोग