यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में मौत की सज़ा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया सालों से सना के केंद्रीय कारागार में बंद हैं.
यमन में इस्लामी शरिया क़ानून है इसलिए एक उम्मीद थी कि अगर महदी परिवार ब्लड मनी के बदले निमिषा को माफ़ करता है तो वो फांसी की सज़ा से बच सकती हैं.
निमिषा और उनके परिवार की यही एकमात्र उम्मीद थी. इसीलिए निमिषा की मां प्रेमा कुमारी भारत सरकार से विशेष मंज़ूरी लेने के बाद अप्रैल 2024 में यमन गईं.
हालांकि निमिषा के परिवार का कहना है कि फांसी की तारीख़ 16 जुलाई मुकर्रर कर दी गई है.
निमिषा के परिवार की ओर से यमन में इस मामले की पैरवी करने के लिए अधिकृत किए गए सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम ने बीबीसी तमिल को ये बात बताई.
हालांकि बीबीसी स्वतंत्र रूप से इस सूचना की पुष्टि नहीं करता है.
अब तक जो सूचना मिली है उसके अनुसार, फांसी को चंद दिन ही बचे हैं.
निमिषा की मां प्रेमा कुमारी और सैमुअल जेरोम ने 11 जुलाई की रात एक वीडियो इंटरव्यू में बीबीसी तमिल से बात की.
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सवालः क्या निमिषा ने फांसी की तारीख़ के बारे में बताया था?
सैमुअल जेरोम ने कहा, "सात जुलाई को सना सेंट्रल प्रिज़न के प्रमुख का फ़ोन आया था और फांसी की तारीख़ बताई गई. जेल अधिकारियों ने बताया कि निमिषा को पहले ही इसके बारे में बता दिया गया था. उस समय मैं निजी काम से भारत में था. जैसे ही मुझे ये ख़बर मिली मैं यमन रवाना हो गया."
प्रेमा कुमारी ने कहा कि निमिषा ने जेल प्रशासन के ज़रिए एक संदेश भेजा था.
उन्होंने बताया, "उसने संदेश भेजा था लेकिन ताज़ा फ़ैसले के बारे में कोई ज़िक्र नहीं किया था. उसने सिर्फ़ हालचाल पूछा था. वो मुझे चिंता में नहीं डालना चाहती थी इसलिए उसने कुछ नहीं बताया. मुझे सैमुअल जेरोम से ही पता चला."
पिछले साल यमन गईं प्रेमा कुमारी अब तक जेल में अपनी बेटी से दो बार मिल चुकी हैं.
सवालः पहली बार जब प्रेमा अपनी बेटी से जेल में मिलीं तो क्या बात हुई?
प्रेमा कुमारी ने कहा, "मैं निमिषा से 12 साल बाद मिली थी. 23 अप्रैल को दूतावास के अधिकारी और मैं उससे मिलने गए थे. मुझे डर था कि शायद हमें मिलने की अनुमति न मिले."
वो कहती हैं, "वो दो अन्य लोगों के साथ आई, सभी ने एक जैसे कपड़े पहने हुए थे. वो दौड़कर आई और गले लगकर रोने लगी. वहां मौजूद लोगों ने हमें चुप रहने को कहा. मैं 12 सालों में पहली बार उससे मिल रही थी. मर भी जाऊं तब भी वो पल नहीं भूलने वाला. निमिषा ने मेरे सामने ऐसे दिखाया जैसे वो ख़ुश है."
प्रश्नः केरल में निमिषा के पति टॉमी और उनकी बेटी से क्या इस बारे में आपकी बात हुई?
प्रेमा कुमारी ने कहा, "मैंने टॉमी और अपनी नातिन के साथ बात की. जब भी मैंने उससे बात की, उसने यही कहा कि मेरी मां को वापस लाओ."
प्रेमा कुमारी ने कहा, "उसने कहा कि उसे अपनी मां की याद आती है और वह उसे देखना चाहती है. मुलाक़ात के दौरान मैंने ये बात निमिषा को बताई थी. मैंने कहा, मैंने उनसे तुम्हें वापस लाने की बात कही है. मैं कैसे वापस जाऊं और कैसे उनका सामना करूं? मैं तुम्हारे बिना यहां से वापस नहीं लौटूंगी."
सवालः क्या भारतीय दूतावास ने इस मामले में कोई मदद की?
सैमुअल जेरोम ने कहा, "भारतीय दूतावास शुरू से ही मददगार रहा है. जब 2017 में निमिषा को गिरफ़्तार किया गया था, यमन में गृह युद्ध के चलते भारतीय दूतावास काम नहीं कर रहा था."
"उस समय एक यमनी सामाजिक कार्यकर्ता ने मुझे फ़ोन किया और कहा कि हमने भारत सरकार से संपर्क नहीं किया होता तो निमिषा की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो पाती. मैंने तत्कालीन विदेश मामलों के राज्य मंत्री वीके सिंह से संपर्क किया और मदद मांगी थी."
"उन्होंने फ़ोन पर ही तत्काल कार्रवाई किए जाने का आश्वासन दिया था. बाद में पूर्वी अफ़्रीका में जिबूती में भारतीय दूतावास के कैंप से यमन को चिट्ठी भेजी गई. हमने इसे हूती विदेश मंत्रालय में जमा कराया. इसके बाद ही निमिषा को अल-बायदा से सना जेल में ट्रांसफ़र किया गया था. इसके बाद विधिवत मामले की जांच शुरू की गई."
सैमुअल जेरोम ने कहा, "वीके सिंह की उसी चिट्ठी के कारण निमिषा अभी तक ज़िंदा हैं."
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सवालः क्या महदी परिवार ने निमिषा को माफ़ी देने से इनकार कर दिया?
सैमुअल जेरोम ने कहा, "उन्होंने निमिषा को माफ़ करने से इनकार भी नहीं किया है और रज़ामंदी भी नहीं दी है."
सवालः अदालती सुनवाई में शुरू से महदी परिवार की क्या भूमिका रही है?
सैमुअल जेरोम ने कहा, "हत्या की घटना उत्तरी यमन में हुई थी, लेकिन निमिषा को मारिब से ग़िरफ़्तार किया गया था. महदी परिवार निमिषा को मारिब जेल से उत्तरी यमन में अपनी गाड़ी में लेकर गया था. अगर निमिषा दक्षिणी यमन में होतीं तो उन्हें क़ानूनी सुनवाई का मौक़ा नहीं मिल पाता. इसलिए महदी के परिवार ने निष्पक्ष सुनवाई में भूमिका निभाई. लेकिन वे निमिषा को दूसरे कारण से वापस लेकर गए थे."
उन्होंने कहा, "महदी का परिवार ओसाब कबायली समूह से ताल्लुक़ रखता है. इसका मूल स्थान सना के पास धमार है, लेकिन वे अल-बायदा में रहते हैं और वहीं कारोबार करते हैं. अल-बायदा, स्वाधिया कबायली समूह का मूल स्थान है."
सैमुअल जेरोम कहते हैं, "चूंकि हत्या अल-बायदा में हुई, तो इस बात का अंदेशा था कि आरोप स्वाधिया कबीले पर लगे. यमन में अगर किसी और कबीले का व्यक्ति आपके इलाक़े में मर जाता है, तो ज़िम्मेदारी आपके कबीले की होती है. उस समय तक नहीं पता था कि इस मामले में निमिषा ज़िम्मेदार थीं. दोनों कबीलों में तनाव का ख़तरा था."
"जब महदी परिवार को सच्चाई पता चली तो वे अपनी गाड़ी से मारिब जाकर निमिषा को वापस लेकर गए. उस समय आक्रोश के देखते हुए वे उनके साथ कुछ भी कर सकते थे, लेकिन उन्होंने मारिब से अल-बायदा तक निमिषा को सुरक्षित पहुंचाया."
सैमुअल जेरोम ने कहा, "बाद में जब हूती विदेश मंत्रालय ने आदेश दिया कि निमिषा को सना भेजा जाए तो उन्होंने इस फै़सले का सम्मान किया और उन्हें भेजा."
सवालः इस मामले को यमनी जनता और मीडिया में कैसे देखा जा रहा है?
सैमुअल जेरोम ने कहा, "यमनी जनता और मीडिया में निमिषा को लेकर ग़ुस्सा है, क्योंकि उनके नागरिक की हत्या हुई थी. दूसरी ओर, उन्हें जानने वालों का मानना है कि उन्हें बचाया जाना चाहिए."
सवालः निमिषा की फांसी को टालने का क्या कोई रास्ता बचा है?
सैमुअल जेरोम ने कहा, "मुझे नहीं पता. मैं भारतीय दूतावास के अधिकारियों से बात कर रहा हूं. हम हर संभव कोशिश करेंगे."
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10 जुलाई को वॉलंटियर ग्रुप 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. उन्होंने मांग की है कि निमिषा प्रिया को बचाने के लिए भारत सरकार राजनयिक स्तर पर दख़ल दे.
सुप्रीम कोर्ट याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई है और 14 जुलाई को इस पर सुनवाई होनी है.
साथ ही, फांसी की तारीख़ की जानकारी सामने आने से इस मामले की तात्कालिकता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा है कि वो याचिका की एक प्रति भारत के अटॉर्नी जनरल को मुहैया कराएं.
कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि अगर इस मामले में भारत सरकार ने कोई कार्रवाई की है तो अटॉर्नी जनरल के ज़रिए अदालत को सूचित करें.
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केरल के पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा प्रिया 2008 में एक नर्स के रूप में काम करने के लिए यमन गई थीं.
वहां कई अस्पतालों में काम करने के बाद वह 2011 में केरल वापस चली गईं और टॉमी थॉमस से उनकी शादी हुई. दोनों की एक बेटी है, जो इस समय केरल में रहती है.
साल 2015 में निमिषा ने यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक मेडिकल क्लीनिक की शुरुआत की थी. साल 2017 में महदी का शव एक वॉटर टैंक में पाया गया.
इसके एक महीने बाद निमिषा को यमनी-सऊदी अरब की सीमा से गिरफ़्तार किया गया.
निमिषा पर आरोप लगे कि उन्होंने नींद की दवा की अधिक डोज़ देकर महदी की हत्या की और उनके शव को छिपाने की कोशिश की.
निमिषा के वकील ने दलील दी कि महदी ने निमिषा का शारीरिक उत्पीड़न किया था. उन्होंने उनसे सारी रकम छीन ली थी, उनका पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया था और बंदूक से उन्हें धमकाया था.
वकील की ओर से ये भी कहा गया कि निमिषा ने केवल अपना पासपोर्ट पाने के लिए उन्हें नींद की दवा दी थी, लेकिन दुर्घटनावश इसकी मात्रा अधिक हो गई.
साल 2020 में सना की एक अदालत ने निमिषा को फांसी की सज़ा सुनाई.
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