मध्यप्रदेश के गुना ज़िले के राघौगढ़ में एक 'सर्प मित्र' की मौत जानलेवा लापरवाही की वजह से हो गई. दीपक महावर ने पकड़े गए सांप को जंगल में छोड़ने के बजाय गले में लपेट लिया. इसी दौरान सांप ने उन्हें डस लिया.
पहले तो उन्होंने इसे हल्के में लिया और प्राथमिक इलाज के बाद घर लौट आए, लेकिन ज़हर ने धीरे-धीरे असर दिखाया और देर रात उनकी हालत बिगड़ गई. दोबारा अस्पताल ले जाने पर उनकी मौत हो गई.
दीपक इलाक़े में सांप पकड़ने के लिए मशहूर थे और जेपी कॉलेज में उन्हें इसी काम के लिए रखा गया था.
सोमवार दोपहर क़रीब 12 बजे राघौगढ़ में उन्हें फोन आया कि एक घर में सांप निकल आया है. दीपक मौके पर पहुंचे और सांप को सुरक्षित पकड़ लिया.
इसी दौरान उनके 12 साल के बेटे के स्कूल से फोन आया कि छुट्टी हो गई है और उसे लेने पहुंचें.
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जल्दबाज़ी में उन्होंने सांप को एक डिब्बे में बंद करने के बजाय गले में लटका लिया और मोटरसाइकिल से स्कूल पहुंच गए.
बेटे को पीछे बिठाकर जब वे घर की ओर लौट रहे थे, तभी रास्ते में गले में लटका सांप उनके दाहिने हाथ पर काट गया.
सांप के काटने के बाद पहुंचे थे अस्पतालसांप के काटने के तुरंत बाद दीपक ने एक साथी को बुलाया, जिसने उन्हें राघौगढ़ के नज़दीकी अस्पताल पहुंचाया. वहां प्राथमिक इलाज के बाद डॉक्टरों ने उन्हें गुना रेफर कर दिया.
हालत में सुधार दिखने पर शाम को दीपक अस्पताल से घर लौट आए और खाना खाकर सो गए. लेकिन रात में उनकी तबीयत बिगड़ गई और सुबह उनकी मौत हो गई.
राघौगढ़ प्राथमिक उपचार केंद्र के डॉक्टर देवेंद्र सोनी ने बीबीसी को बताया, "जब वो हमारे पास आए थे, उस समय उनकी हालत सामान्य थी. उनके महत्वपूर्ण अंग ठीक थे, बोलचाल सामान्य था और वह होश में थे."
"हमने तुरंत स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के तहत उनका इलाज शुरू किया. उन्हें आईवी फ्लूड, एंटी-स्नेक वेनम और अन्य ज़रूरी दवाएं दी गईं, और इसके बाद उन्हें गुना रेफर कर दिया, क्योंकि यहां सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं."
डॉ. सोनी ने बताया कि गुना में कुछ ही घंटों रहने के बाद दीपक घर लौट आए क्योंकि उन्हें तबीयत ठीक लग रही थी.
उन्होंने आगे बताया, "सांप कोबरा लग रहा था, जिसका ज़हर धीरे-धीरे असर करता है. ऐसे मामलों में मरीज को कम से कम 24 घंटे डॉक्टरों की निगरानी में रहना ज़रूरी होता है. अगर वह रेफरल सेंटर में ऑब्ज़र्वेशन में रहते और लौटते नहीं, तो उनकी जान बच सकती थी."
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दीपक महावर पिछले कई सालों से राघौगढ़ स्थित जेपी कॉलेज में 'सर्प मित्र' के रूप में कार्यरत थे. वे आसपास के गांवों से सांप पकड़ने की सूचनाओं पर भी नियमित रूप से जाते थे.
परिवार में उनके दो बेटे हैं, जिनमें एक की उम्र 14 साल और दूसरे की 12 साल है. उनकी पत्नी का देहांत करीब 10 साल पहले हो गया था.
जिस समय यह घटना घटी, उस समय दीपक अपने छोटे बेटे को स्कूल लेने गए थे.
दीपक के छोटे भाई नरेश महावर ने बीबीसी को बताया, "दीपक कई साल से यह काम कर रहे थे और उन्होंने किसी व्यक्ति से सांप पकड़ने का काम सीखा था. पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने इस काम में महारत हासिल कर ली थी, इसी वजह से उन्हें जेपी कॉलेज में नौकरी मिली थी. यह कॉलेज बाहरी इलाके में है, जहां अक्सर सांप निकलते रहते हैं."
नरेश ने आगे बताया, "इससे पहले भी उन्हें कई बार सांप काट चुका था, और वे अक्सर अपनी जड़ी-बूटियों से ही इलाज कर लेते थे. हालांकि एक बार उन्हें अस्पताल भी जाना पड़ा था. इस बार भी उन्हें लगा कि सिर्फ मामूली सूजन है और वह जल्दी ठीक हो जाएंगे, इसलिए उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया."
उन्होंने कहा, "हमारा बस यही निवेदन है कि जब आप इस घटना के बारे में लिखें तो मानवीय संवेदना रखें. भाई चले गए, अब उनके दो छोटे बच्चे ही बचे हैं. अगर सरकार इस मामले को मानवीय नज़रिए से देखे तो शायद कुछ मदद मिल सके, जिससे इन बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो पाए."
नरेश ने कहा, "ग़लतफ़हमियों से परे, दीपक एक अच्छे इंसान थे, जिन्होंने कई बार अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की मदद की."
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भारत दुनिया में सांप के काटने से होने वाली मौतों के लिए भी जाना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल सर्पदंश के करीब 50 लाख मामले सामने आते हैं.
इनमें से लगभग 25 लाख मामलों में लोगों के शरीर में ज़हर का असर होता है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि रिपोर्ट किए गए मामलों के आधार पर हर साल भारत में सर्पदंश के कारण लगभग एक लाख लोगों की मौत होती है, जबकि चार लाख लोग ऐसे होते हैं जिनके शरीर का कोई अंग प्रभावित हो जाता है या स्थायी रूप से काम करना बंद कर देता है.
बीबीसी की 2020 की एक रिपोर्ट में भी यही बताया गया था कि भारत में हर साल एक लाख से ज़्यादा लोगों की मौत सांप के काटने से होती है.
मध्यप्रदेश को सर्पदंश प्रभावित क्षेत्रों में से एक माना जाता है. यहां की सरकार उन परिवारों को मुआवज़ा देती है जो अस्पताल और पोस्टमार्टम की रिपोर्टों के आधार पर यह सिद्ध कर पाते हैं कि संबंधित व्यक्ति की मौत सांप के काटने से हुई थी.
'द रॉयल सोसाइटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन' जर्नल में साल 2024 में प्रकाशित एक अध्ययन में मुआवज़ों को लेकर विश्लेषण किया गया था. इसमें वर्ष 2020-21 और 2021-22 के मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों की समीक्षा की गई थी.
अध्ययन में पाया गया कि इन दो वर्षों में कुल 5,728 परिवारों को मुआवज़ा दिया गया. राज्य सरकार ने सांप के काटने से हुई मौतों के मामलों में कुल 229 करोड़ रुपये की सहायता राशि वितरित की थी.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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