एक युवा और अनुभवहीन टीम, जिसका नेतृत्व शुभमन गिल ने किया. यही टीम पाँच टेस्ट मैचों की सिरीज़ के पहले मैच में 835 रन बनाती है.
रनों के इस विशाल स्कोर में पाँच बल्लेबाज़ों ने शतक जड़ा लेकिन टीम इंडिया को इंग्लैंड के हाथों पाँच विकेट से हार मिली.
खेल के इतिहास में, पाँच शतकों के बाद शायद ही कोई टीम हारी हो लेकिन इंग्लैंड ने हेडिंग्ले में भारत को हराकर यह कर दिखाया था.
कोई और टीम होती तो हेडिंग्ले की करारी हार के बाद लड़खड़ाना तय था लेकिन यह वो टीम नहीं है. यहाँ तक कि जसप्रीत बुमराह को बाहर रखने के बावजूद भी नहीं.
कप्तान शुभमन गिल ने अपने बल्ले से जवाब देकर भारत की वापसी की कहानी लिखी. 269 रन की व्यक्तिगत पारी, जो 93 साल के टेस्ट इतिहास में किसी भारतीय कप्तान का सर्वोच्च स्कोर है.
यह गिल का व्यक्तिगत श्रेष्ठ प्रदर्शन भी था और दूसरे मैच में टेस्ट में पहला दोहरा शतक भी. लेकिन यह स्पष्ट है कि वे अपने लिए नहीं खेल रहे थे. यह टीम के लिए था. यह नई टीम को आकार देने की एक अद्वितीय पहल थी.
पहली पारी में भारत ने 587 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया और गिल ने इस पारी का नेतृत्व किया.
इसके अलावा दूसरे दिन इंग्लैंड को तीन विकेट पर 77 रन पर रोक दिया, जिसमें बेन डकेट डक (ज़ीरो) और ओली पोप गोल्डन डक पर आउट हुए. दोनों बल्लेबाज़ों को तेज़ गेंदबाज़ आकाश दीप ने दो गेंदों के भीतर पवेलियन की राह दिखाई.

इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने गिल को रोकने के लिए सात गेंदबाज़ों को आज़माया, लेकिन 25 वर्षीय गिल ने शानदार संकल्प, साहस, धैर्य और कौशल दिखाया और हाल के समय में क्रिकेट जगत ने जो सबसे बेहतरीन दोहरे शतक देखे हैं, उनमें से एक दोहरा शतक जड़ा
इस शानदार पारी का असर तुरंत महसूस हो या न हो, लेकिन यह टीम और उसके कप्तान की यात्रा की दिशा तय करेगी.
जब विराट कोहली, रोहित शर्मा और रविचंद्रन अश्विन जैसे सीनियर खिलाड़ी छह महीनों के अंदर संन्यास ले लेते हैं तो एक नई टीम के लिए बदलाव का समय डराने वाला हो सकता है. अचानक, ड्रेसिंग रूम से नेतृत्व की भावना ग़ायब सी लगती है.
नई शुरुआत करने के लिए असाधारण आत्मविश्वास और साहस चाहिए होता है. गिल ने यह ज़िम्मेदारी उठाई है और टीम के लिए एक मार्गदर्शक बन गए हैं.
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जब टीम का स्कोर पहले दिन लंच से ठीक पहले 95 पर दो विकेट था, तब गिल बल्लेबाज़ी करने आए. इससे पहले केएल राहुल, जिन्होंने हेडिंग्ले टेस्ट में 137 रन की शानदार पारी खेली थी, इस बार सिर्फ़ दो रन ही बना सके और करुण नायर 31 रन बनाकर आउट हो गए थे. ऐसे में टीम को अपने कप्तान से वापसी की उम्मीद थी.
गिल ने संभलकर शुरुआत की. ब्राइडन कार्स की गेंद पर एलबीडब्ल्यू की ज़ोरदार अपील हुई और क्रिस वोक्स की गेंद पर एज लगने के बावजूद गिल आउट होने से बच गए.
लेकिन जब उन्होंने गेंद को मिडिल करना शुरू किया, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ने लगा. वोक्स के ख़िलाफ़ उनका फ़्लिक ड्राइव, जो शॉर्ट मिड-विकेट और मिड-ऑन के बीच से गया, उनकी सोच को और मज़बूत कर गया होगा.
उन्होंने अपना अर्धशतक अपनी स्टाइल में ऑफ़-स्पिनर शोएब बशीर को क्रीज़ से बाहर आकर सीधा चौका मारकर पूरा किया. इसके बाद उनके बल्ले से लगातार रन निकलने लगे.
देर से और शरीर के क़रीब खेलने की उनकी आदत ने न सिर्फ़ उनका विकेट बचाया, बल्कि गेंदबाज़ों को मजबूर कर दिया कि वे उनकी ताक़त के हिसाब से गेंद डालें. इसका गिल ने पूरा फ़ायदा उठाया.
हालाँकि, दूसरे छोर पर विकेट गिरते रहे और एक मज़बूत साझेदारी नहीं बन पाई. भारत का स्कोर 211 पर पाँच विकेट हो गया.
दो विकेट जल्दी-जल्दी गिरे. ऋषभ पंत, जिन्होंने पिछले टेस्ट में दो शतक जड़े थे, 25 रन बनाकर बशीर की गेंद पर डीप में कैच दे बैठे. अगले ओवर में, टीम की बल्लेबाज़ी मज़बूत करने के लिए लाए गए नितीश रेड्डी, वोक्स की घूमती हुई गेंद पर सिर्फ़ एक रन बनाकर बोल्ड हो गए.
ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा के पास एक लक्ष्य था. उन्हें पिछले मैच की ग़लतियों को सुधारना था. उन्होंने क्रीज़ पर टिककर अपने युवा कप्तान का पूरा साथ दिया.
दूसरी ओर, गिल आक्रामकता और डटे रहने का प्रतीक बने हुए थे. उन्होंने पार्ट-टाइम ऑफ़-स्पिनर जो रूट की गेंद पर एक ही ओवर में दो बार स्वीप मारकर फाइन-लेग बाउंड्री तक पहुँचाया और अपना सातवाँ शतक पूरा किया. गिल और जडेजा की जोड़ी ने सुनिश्चित किया कि कोई और विकेट न गिरे और दिन का अंत 310 पर पाँच विकेट के साथ हुआ.
दूसरे दिन की शुरुआत एक बार फिर गिल के लिए संभलकर हुई. वोक्स की गेंद पर एक एज फिर से स्लिप में खड़े फील्डर से बच गया. शुरुआत में जडेजा ज़्यादा आक्रामक दिखे. उन्होंने विकेट के दोनों ओर कुछ शानदार शॉट्स खेले, ख़ासकर स्टोक्स की गेंद पर दो बैकफ़ुट पंच जो चौके में बदले.
जैसे ही धूप निकली, एजबेस्टन की पिच इंग्लिश गेंदबाज़ों के लिए मददगार नहीं रही. चालाक कप्तान स्टोक्स ने बाउंसर फेंककर गिल और जडेजा की साझेदारी को तोड़ने की कोशिश की. लेकिन यह रणनीति कारगर नहीं हुई.
शुरुआत में दोनों बल्लेबाज़ों ने रक्षात्मक खेल खेला लेकिन फिर उन्होंने तेज़ी से पलटवार किया. लेग-साइड पर फील्डिंग मज़बूत होने के बावजूद बाउंड्रियों की रफ़्तार नहीं रुकी.
बशीर को लाया गया ताकि दोनों बल्लेबाज़ों को ग़लती करने पर मजबूर किया जा सके, लेकिन गिल ने मौक़ा लपकते हुए उन्हें तीन छक्के मारे और दो रिवर्स स्वीप थर्ड मैन बाउंड्री की ओर लगाए.
आख़िरकार बाउंसर काम कर गया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और दोनों ने छठे विकेट के लिए 203 रन की साझेदारी कर ली थी.
जोश टंग का तेज़ बाउंसर जडेजा को चौंका गया, उन्होंने बचाव में बल्ला लगाया और गेंद बल्ले का किनारा लेकर विकेटकीपर जैमी स्मिथ के हाथों में चली गई.
जडेजा की शानदार पारी 89 रन पर ख़त्म हुई. भारत का स्कोर उस वक़्त 414 पर छह विकेट था.
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इस बार निचला क्रम जल्दी टूटने के मूड में नहीं था. वॉशिंगटन सुंदर (42) ने भी बख़ूबी साथ दिया और सातवें विकेट के लिए 144 रन की साझेदारी की.
पहले दो सेशनों में दो बातें लगातार बनी रहीं-गिल के बल्ले से निकलते ड्राइव्स और समय-समय पर गेंद को बाउंड्री तक भेजना.
गिल ने टंग की शॉर्ट-पिच गेंद को फ़ाइन-लेग की दिशा में हल्के से खेलकर अपना पहला दोहरा शतक पूरा किया. उन्होंने इस उपलब्धि का जश्न बशीर को एक ही ओवर में दो चौके मारकर मनाया- एक रिवर्स स्वीप और दूसरा लेट कट.
अब तक गिल इंग्लैंड के गेंदबाज़ी आक्रमण के ख़िलाफ़ आसानी से रन निकालने लगे थे. फ़ील्डरों के पैर जैसे भारी हो गए थे और रन रोकना मुश्किल हो गया था. गिल ने हैरी ब्रुक की गेंद को दो शानदार स्ट्रेट ड्राइव मारकर बाउंड्री तक पहुँचाया. स्टोक्स पहली बार बेबस नज़र आए.
स्टेडियम में अब तिहरे शतक की उम्मीदें जाग चुकी थीं, लेकिन वो नहीं आया. इंग्लैंड के गेंदबाज़ जोश टंग ने गिल को एक बाउंसर पर आउट कर दिया. गिल गेंद को नीचे रखने में नाकाम रहे और शॉर्ट स्क्वायर-लेग पर ओली पोप को आसान कैच थमा दिया.
भारतीय कप्तान की यह जादुई पारी शायद उनके साथियों को इस सिरीज़ में कुछ ख़ास करने की प्रेरणा दे सकती है.
क्या यह 'एजबेस्टन महागाथा' वही कर सकती है जो कप्तान अजिंक्य रहाणे की 112 रन की पारी ने 2020 की ऑस्ट्रेलिया सिरीज़ के एमसीजी टेस्ट में किया था?
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