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गरीबी हटाओ की दिशा में ऐतिहासिक कदम: राजस्थान के 5000 गांवों को बनाया जाएगा 'गरीबी मुक्त', सरकार ने रखा 300 करोड़ का बजट

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राजस्थान में बीपीएल ग्रामीण परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उन्हें गरीबी रेखा से ऊपर लाने के लिए शुरू की गई 'पंडित दीनदयाल उपाध्याय गरीबी मुक्त गांव योजना' के तहत पहले चरण में 5 हजार गांवों का चयन किया गया है। इन गांवों के चयनित बीपीएल परिवारों को आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह योजना राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को नया आयाम देने में मील का पत्थर साबित होगी। इस योजना में बीपीएल परिवारों को 1 लाख रुपये तक की सहायता देने का प्रावधान है। वहीं गरीबी रेखा से ऊपर आ चुके परिवारों को प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी।

परिवारों को मिलेगी 21 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि

योजना के तहत ऐसे परिवार जो अपने प्रयासों से गरीबी रेखा से ऊपर आ गए हैं, उन्हें सम्मान स्वरूप 21 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़े में ऐसे परिवारों के बैंक खातों का सत्यापन किया जा रहा है। ऐसे 22400 परिवारों के खातों में डीबीटी के माध्यम से प्रोत्साहन राशि हस्तांतरित की जाएगी। अब तक 17 हजार 891 परिवारों के बैंक खातों का सत्यापन हो चुका है। राज्य सरकार इन परिवारों को प्रोत्साहन के रूप में 'आत्मनिर्भर परिवार कार्ड' भी उपलब्ध कराएगी। योजना के तहत चयनित गांवों में आत्मनिर्भर परिवारों के अलावा गरीबी दूर करने में मदद की जरूरत वाले परिवारों को आय सृजन, कौशल विकास, वित्तीय समावेशन के लिए राज्य सरकार की विभिन्न लाभकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए आवेदन प्राप्त किए जा रहे हैं। अब तक 61 हजार 442 परिवारों के आवेदन प्राप्त हुए हैं।

पहले चरण में 30,631 बीपीएल परिवारों की पहचान की गई

योजना के पहले चरण में राज्य के 5002 गांवों में कुल 30,631 बीपीएल परिवारों की पहचान की गई है। सभी चिन्हित परिवारों का भौतिक सर्वेक्षण पूर्ण कर लिया गया है तथा उनके सर्वेक्षण को बीपीएल जनगणना 2002 के आंकड़ों से मिलान कर वेब पोर्टल पर प्रविष्ट कर दिया गया है। सर्वेक्षण के आधार पर प्रत्येक गांव के लिए 'गरीबी मुक्त गांव कार्य-योजना' तैयार की जा रही है। इस योजना में सरकार की अन्य योजनाओं का भी समन्वय किया जा रहा है, ताकि गांवों का समग्र विकास हो सके। इस योजना का मुख्य उद्देश्य बीपीएल जनगणना 2002 के अनुसार चिन्हित परिवारों के जीवन स्तर में सुधार लाना तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। यह योजना प्रदेश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में क्रियान्वित की जाएगी।

बीपीएल परिवारों को 1 लाख रुपए तक की सहायता

योजना के तहत बीपीएल परिवारों को स्वरोजगार एवं आजीविका संबंधी गतिविधियों के लिए अधिकतम 1 लाख रुपए तक की सहायता दी जाएगी। इसी प्रकार स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को प्रति परिवार 15 हजार रुपए तक की कार्यशील पूंजी दी जाएगी।

उत्कृष्ट जिलों को विशेष पुरस्कार

इस योजना के तहत उत्कृष्ट कार्य करने वाले जिलों को प्रोत्साहन स्वरूप विशेष वित्तीय पुरस्कार भी दिए जाएंगे। तिमाही रैंकिंग के आधार पर प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले जिलों को क्रमश: 50 लाख, 35 लाख व 25 लाख रुपये की राशि दी जाएगी।

दूसरे चरण में अब तक 22,872 परिवारों का सर्वे

दूसरे चरण में भी 5002 गांवों का चयन किया गया है, जहां बीपीएल परिवारों का सर्वे चल रहा है। इन गांवों में भी योजना के तहत पात्र परिवारों की पहचान कर उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है। अब तक 22 हजार 872 परिवारों का सर्वे हो चुका है।

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