सावन शुरू होते ही दूर-दूर से श्रद्धालु उदयपुर शहर के दक्षिण में तितरड़ी स्थित गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। सावन के सोमवार को यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। अरावली पर्वत श्रृंखला में होडा पर्वत पर प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित इस मंदिर को उदयपुर का अमरनाथ कहा जाता है।
मंदिर तक पहुंचने के लिए 800 मीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। बीते वर्षों में मंदिर के आसपास कई बस्तियां विकसित हो गई हैं, लेकिन यहां आज भी शांतिपूर्ण माहौल है। 1951 में श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े की टोली के साथ संत बृजबिहारी बाण यहां आए थे। पहले गुफा में प्राकृतिक रूप से निर्मित शिवलिंग था, जिसके खंडित होने पर 1962 में गुप्तेश्वर महादेव की स्थापना की गई थी। रोड़ीदास, फूलनाथ, फलाहारी सहित कई संतों ने यहां तपस्या की थी। मंदिर तक पहुंचने के लिए एक संकरा प्रवेश द्वार है, जिसके बाद सीढ़ियां गर्भगृह तक जाती हैं। संत तन्मय बाण वर्ष 2019 में संत बृज बिहारी बाण के समाधि लेने के बाद से मंदिर की देखभाल कर रहे हैं।
भाद्रपद पूर्णिमा पर लगता है मेला
जानकारी के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा पर मंदिर में दो दिवसीय मेला लगता है, जहाँ हज़ारों श्रद्धालु पहुँचते हैं। इसके अलावा, महाशिवरात्रि, प्रदोष, पूर्णिमा और अमावस्या पर अनुष्ठान होते हैं।
यहाँ कैसे पहुँचें
यह मंदिर उदयपुर-अहमदाबाद मार्ग पर उदयपुर शहर से 8 किमी दूर है। यहाँ निजी वाहन और शहरी परिवहन के साधनों से पहुँचा जा सकता है। मंदिर तक पहुँचने के लिए, वाहन को नीचे पार्क करके पैदल ऊपर चढ़ना पड़ता है। उदयपुर देश के प्रमुख शहरों से रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। यहाँ के लिए कई शहरों से हवाई सेवा भी उपलब्ध है।
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