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जैसलमेर में सांस्कृतिक विरासत पर विवाद: 1835 की छतरियों को लेकर दो पक्षों में जमकर बरसे पत्थर, 20 महिलाएं डिटेन

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जैसलमेर जिले के बासनपीर गांव में रियासतकालीन वीर झुंझार रामचंद्र जी सोढ़ा और हदूद जी पालीवाल की स्मृति में बनवाई जा रही छतरियों के निर्माण के दौरान उपजे विवाद को बुधवार को प्रशासन और पुलिस ने दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद सुलझा लिया। इसके बावजूद गुरुवार को एक समुदाय विशेष की सैकड़ों महिलाओं और युवकों ने छतरियों पर पथराव कर हमला कर दिया, जिसमें करीब 4 लोग घायल हो गए। इस घटना में एक पुलिसकर्मी नरपत सिंह भी घायल हो गया। जिसके बाद घायलों का इलाज चल रहा है। कई वाहनों में तोड़फोड़ भी की गई है। हालांकि, अब पुलिस ने पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए 20 से अधिक महिलाओं समेत 2 दर्जन से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है।

20 महिलाएं हिरासत में
एसपी सुधीर चौधरी ने बताया कि इस विवाद को लेकर दोनों पक्षों की समझाइश के बाद बुधवार को एसडीएम कार्यालय में काम शुरू हो गया था। लेकिन इस विवाद को देखते हुए 20 से अधिक महिलाओं को हिरासत में लिया गया है। एडिशनल एसपी सिटी मौके पर मौजूद हैं। अभी स्थिति सामान्य बनी हुई है। दंगा भड़काने वाले लोगों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। साथ ही, लोगों से विस्तृत पूछताछ के आधार पर कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया जा रहा है। लॉयन ऑर्डर को हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा।

2019 में तोड़ा गया था छाता
यह विवाद वर्ष 2019 में लगातार चलता रहा है। उस समय एक शिक्षक द्वारा कुछ लोगों को भड़काकर छाता तोड़ने का काम किया गया था। जिसके बाद इस मामले में झुंझार धरोहर बचाओ संघर्ष समिति ने विरोध प्रदर्शन किया था। उस समय पुलिस ने मामला दर्ज कर तीन लोगों को गिरफ्तार किया था और उनके खिलाफ अदालत में चालान भी पेश किया था।

तत्कालीन सरकार के दबाव में रुका था काम
इस बीच, झुंझार धरोहर बचाओ संघर्ष समिति, हिंदू संगठनों और आम जनता ने जिले भर में आंदोलन किया था, जिसके बाद वर्ष 2021 में कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर दोनों पक्षों से बातचीत के बाद प्रशासन की मौजूदगी में काम शुरू हुआ, लेकिन फिर दो दिन बाद तनाव का माहौल होने पर प्रशासन के अनुरोध पर काम रुकवा दिया गया। संघर्ष समिति के सदस्य गणपत सिंह ने आरोप लगाया है कि वर्ष 2021 में विवाद के चलते तत्कालीन सरकार ने प्रशासन पर दबाव बनाकर काम रुकवा दिया था, जो नीति के अनुरूप नहीं था।

छतरी का निर्माण 1835 में हुआ था

गणपत सिंह सोढ़ा ने बताया कि बासनपीर गांव में रियासतकालीन वीर झुंझार रामचंद्र जी सोढ़ा और हदूद जी पालीवाल की स्मृति में निर्मित छतरियां हमारे इतिहास, बलिदान और गौरव का प्रतीक हैं। 2019 में कुछ असामाजिक तत्वों ने इन्हें ध्वस्त कर दिया था। अब जब इन छतरियों के पुनर्निर्माण का कार्य शुरू हुआ तो कट्टर मानसिकता फिर से जाग उठी और एक समुदाय विशेष के लोगों ने न केवल निर्माण रोकने का दुस्साहस किया, बल्कि आम नागरिकों सहित पुलिस पर भी हमला कर कई लोगों को लहूलुहान कर दिया।

इन छतरियों का निर्माण 1835 ई. में तत्कालीन महारावल गजसिंह ने करवाया था। 1828 ई. में जैसलमेर और बीकानेर के बीच हुए युद्ध में जैसलमेर की ओर से भाग लेते हुए वीर झाझड़ रामचंद्र सोडा शहीद हो गए थे। उनकी स्मृति में यह छतरी बनवाई गई थी। उन्हीं हदूद जी पालीवाल ने गाँव में तालाब खुदवाया था, इसलिए उनकी स्मृति में एक छतरी भी बनवाई गई।

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