समाज में बढ़ती फिजूलखर्ची और दिखावे की प्रवृत्ति को रोकने के उद्देश्य से खत्री समाज ने एक बार फिर अनूठी मिसाल पेश की है। समाज ने रविवार को लगातार छठे वर्ष सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन कर 19 युवक-युवतियों का एक साथ विवाह करवाया। यह भव्य समारोह बाड़मेर शहर स्थित कुशल वाटिका में अत्यंत हर्षोल्लास और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ सम्पन्न हुआ।
सुबह से ही स्थल पर समाज के लोग, रिश्तेदार और शहरवासी एकत्रित होने लगे। जैसे ही जयमाल की रस्म शुरू हुई, वातावरण में उत्साह और शुभकामनाओं की गूंज फैल गई। सभी 19 जोड़ों ने एक साथ एक-दूसरे को माला पहनाई और जीवनभर साथ निभाने का संकल्प लिया। मंच पर जब एक साथ 19 दूल्हे और दुल्हनें सजे-धजे खड़े थे, तो दृश्य देखते ही बनता था।
समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि खत्री समाज पिछले छह वर्षों से यह आयोजन करता आ रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य शादियों में अनावश्यक खर्च को रोकना और सरल, सादगीपूर्ण विवाह को बढ़ावा देना है। इससे न केवल आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को सहारा मिलता है, बल्कि समाज में एकता और सहयोग की भावना भी मजबूत होती है।
कार्यक्रम में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं और गणमान्य नागरिकों ने भी शिरकत की। समारोह का शुभारंभ समाज के वरिष्ठजनों द्वारा दीप प्रज्वलन से किया गया। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच सभी जोड़ों ने सात फेरे लिए और एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर वैवाहिक जीवन की शुरुआत की।
समारोह में आए अतिथियों ने समाज की इस पहल की सराहना की। वक्ताओं ने कहा कि आज के दौर में जहां शादी-ब्याह में लाखों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं, वहीं खत्री समाज का यह कदम एक आदर्श उदाहरण है। सामूहिक विवाह न केवल सामाजिक समानता को प्रोत्साहित करता है, बल्कि पारिवारिक और आर्थिक बोझ को भी कम करता है।
समाज के अध्यक्ष ने बताया कि इस वर्ष 19 जोड़ों ने पंजीकरण करवाया था, जिनका विवाह विधि-विधान से सम्पन्न कराया गया। आयोजन के दौरान समाज की ओर से नवविवाहित जोड़ों को घरेलू उपयोग की वस्तुएँ भेंट की गईं, ताकि वे अपने नए जीवन की शुरुआत सहज रूप से कर सकें।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने समारोह की शोभा और भी बढ़ा दी। मंच पर लोकगीतों और मंगलगीतों की स्वर लहरियों ने वातावरण को और अधिक पवित्र बना दिया। उपस्थित लोगों ने नवदंपतियों को आशीर्वाद दिया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
समारोह के सफल आयोजन में समाज के युवाओं और महिलाओं की भूमिका भी अहम रही। पूरे कार्यक्रम की व्यवस्था समाज के स्वयंसेवकों ने की, जिससे आयोजन अनुशासित और गरिमामय रहा।
इस तरह खत्री समाज ने एक बार फिर यह साबित किया कि अगर इच्छा हो तो शादियों को भी सादगी, संस्कार और सामूहिकता के साथ मनाया जा सकता है।
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