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एसआई पेपर लीक मामले में हाईकोर्ट में ADG वीके सिंह ने किए चौंकाने वाले खुलासे, यहां जानिए विस्तार से सबकुछ

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मंगलवार को हाईकोर्ट में एसआई भर्ती-2021 पेपर लीक मामले की सुनवाई के दौरान एसओजी के अतिरिक्त महानिदेशक और एसआईटी प्रमुख वीके सिंह पेश हुए। कोर्ट ने उनसे पूछा कि भर्ती रद्द करने की सिफारिश करने से पहले आपने सरकारी नौकरी छोड़ने वाले अभ्यर्थियों के बारे में नहीं सोचा, इस पर सिंह ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए।

कोर्ट ने की मौखिक टिप्पणी

इस दौरान कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की कि सरकार भर्ती की पवित्रता और शुचिता के भंग होने के बारे में नहीं सोचती। अब सुनवाई 17 जुलाई को होगी। उन्होंने बताया कि अब तक पकड़े गए 53 प्रशिक्षु एसआई में से 10 ऐसे अभ्यर्थी हैं जो पहले से सरकारी नौकरी में थे। इनमें पूर्व सैनिक भी हैं। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि सरकारी नौकरी छोड़ने वाले सफल अभ्यर्थियों ने फर्जीवाड़ा नहीं किया होगा।

औचक परीक्षा तो शोध प्रक्रिया का ही एक हिस्सा थी। यह कोई योग्यता परीक्षा नहीं थी। इस दौरान कोर्ट ने एडीजी सिंह से पूछा कि क्या परीक्षा में केवल 50 अभ्यर्थी ही फेल हुए थे? इस पर सिंह ने कहा कि 705 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए, जिनमें से 51 अभ्यर्थियों के 150 से ज़्यादा अंक कम आए। हमने किसी का मूल्यांकन नहीं किया और न ही किसी को पास या फेल किया। 96 अभ्यर्थियों के 100 से ज़्यादा अंक कम आए।

उन्होंने कहा कि इस परीक्षा में ज़्यादा अंक मिलने का मतलब यह नहीं कि होशियार लोगों को पेपर नहीं मिला। सुनवाई के दौरान, अदालत ने एडीजी वीके सिंह का पक्ष सुनने और कई गोपनीय तथ्य सामने लाने के लिए इस मामले के अलावा सभी पक्षकारों को अदालत से बाहर रखा। कैमरा ट्रायल के दौरान अन्य अधिवक्ताओं को भी बाहर रखा गया।

कटारा ने आयोग को रिश्तेदारों के बारे में नहीं बताया

सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा ने अपने रिश्तेदार राहुल कटारा और विजय डामोर के परीक्षा में बैठने की जानकारी आयोग को नहीं दी। हालाँकि, भर्ती की पूरी ज़िम्मेदारी कटारा के पास थी। राहुल कटारा की 300वीं रैंक थी। डामोर ने लिखित परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन वह फिजिकल परीक्षा पास नहीं कर पाए थे।

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