राजस्थान में सैकड़ों साल पुरानी ऐतिहासिक धरोहरें हैं। ये महल और किले भारत के गौरवशाली अतीत के प्रतीक हैं और अपने भीतर कई रहस्य समेटे हुए हैं। इन्हीं धरोहरों में से एक है जयपुर का जल महल, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला और रहस्यमयी संरचना के लिए प्रसिद्ध है। जयपुर-आमेर मार्ग पर मान सागर झील के बीच बना यह महल अपनी अनूठी खूबसूरती और अडिग अस्तित्व के लिए जाना जाता है। यह महल करीब 226 साल पुराना है, लेकिन पानी के बीच में खड़े होने के बावजूद इसे कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।
जल महल को सिर्फ महल के तौर पर ही नहीं, बल्कि शाही आरामगाह के तौर पर बनवाया गया था। राजा सवाई जयसिंह ने इसे 1799 ई. में इसलिए बनवाया था ताकि वे अपनी रानियों के साथ समय बिता सकें और अश्वमेध यज्ञ के बाद झील में शाही स्नान कर सकें। यह महल राजा-रानियों के लिए एक निजी जगह थी, जहां वे झील में घूमने और नहाने का आनंद लेते थे। झील के बीच में स्थित होने के कारण इस महल को 'आई बॉल' भी कहा जाता है। यह महल राजस्थानी और मुगल स्थापत्य शैली का अद्भुत मिश्रण है।
चाँदनी रात में अद्भुत नज़ारा
महल की ऊपरी मंजिल पर एक विशाल नर्सरी है, जिसमें एक लाख से ज़्यादा पेड़ लगे हुए हैं। इसकी देखभाल के लिए 40 माली नियुक्त किए गए हैं। इस नर्सरी को राजस्थान की सबसे ऊंचे पेड़ों वाली नर्सरी माना जाता है। मानसागर झील 300 एकड़ में फैली हुई है और इसकी गहराई करीब 4 मीटर है। जल महल में प्रवेश की अनुमति नहीं है, लेकिन पर्यटक बाहर से इसकी खूबसूरती का लुत्फ़ उठा सकते हैं। झील और पहाड़ियों से घिरा जल महल रात में और भी मनमोहक लगता है। चांदनी रात में जब इसका प्रतिबिंब झील के पानी में पड़ता है, तो अद्भुत नज़ारा पेश करता है।
अनसुलझे रहस्य
जल महल पांच मंजिला महल है, लेकिन इसकी चार मंजिलें हमेशा पानी में डूबी रहती हैं, सिर्फ़ ऊपरी मंजिल ही दिखाई देती है। लेकिन इसे कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। यह इंजीनियरिंग का कमाल है या रहस्य, इसका सही जवाब आज भी नहीं मिल पाया है। महल के अंदर क्या है, यह सवाल आज भी अनसुलझा है।
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