एक ओर राजस्थान सरकार गांवों में पेयजल आपूर्ति के लिए करोड़ों रुपए की योजना चलाकर हर घर में पानी पहुंचाने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर कस्बे में जनप्रतिनिधियों व विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के कारण ग्रामीणों को पेयजल किल्लत से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन कर पेयजल आपूर्ति सुचारू करने की मांग की है। लोगों ने बताया कि पिछले तीन-चार वर्षों से गांव में नलों में तीन दिन में मात्र 15 मिनट ही पेयजल आपूर्ति हो रही है। इसके कारण पर्याप्त पेयजल भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
समस्याओं को लेकर उपखंड अधिकारी ने जलदाय विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन देकर समाधान की मांग की है, लेकिन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही नई बोरिंग करवाकर समस्या का समाधान कर दिया जाएगा। ग्रामीणों ने टैंकरों से जलापूर्ति की मांग की है। जानकारी के अनुसार कस्बे के मुख्य बाजार में एक दर्जन मोहल्लों में पेयजल आपूर्ति के लिए पहाड़ पर टंकियां बनी हुई हैं, जिनमें सीमेंट की पाइप लाइनों के माध्यम से काफी लंबे समय से घर-घर पेयजल आपूर्ति की जाती है। यह लाइन पुरानी हो जाने के कारण कुछ स्थानों पर तो पानी पहुंचता ही नहीं। बिना बिजली की मोटर के घरों तक पानी नहीं पहुंचता।
नरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि पांच हजार से अधिक लोगों को पानी की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जलदाय विभाग के कनिष्ठ अभियंता का कार्यालय बंद रहता है। जिसके कारण समस्या सुनने वाला कोई नहीं है। मुख्य बाजार में तीन दिन में एक बार मात्र 15 मिनट ही पेयजल आपूर्ति होती है। एक किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है।
टैंकर के दाम भी बढ़ गए
श्याम सिंह भाटी ने बताया कि लोगों को महंगे दामों पर टैंकर मंगवाकर पानी मिल रहा है। प्रति टैंकर का दाम भी 600 रुपए हो गया है। ग्रामीणों ने विधायक विक्रम बंशीवाल व जिला कलेक्टर को समस्या से अवगत कराने का निर्णय लिया है। कस्बे के मुख्य बाजार स्थित महात्मा गांधी विद्यालय में पानी की किल्लत के कारण बच्चे अपने घरों से बोतल भरकर लाते हैं।
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