जिले के मुख्यालय स्थित सआदत जिला अस्पताल में शुक्रवार को जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की संयुक्त निगरानी में मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। यह अभ्यास आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित और संगठित बचाव कार्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया। मॉक ड्रिल में अस्पताल में आग लगने की स्थिति को कल्पित कर कर्मचारियों और प्रशासनिक टीम को प्रशिक्षित किया गया।
इस अवसर पर जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सहित अस्पताल प्रशासन और फायर ब्रिगेड की टीम मौजूद रही। ड्रिल की शुरुआत में ही एक काल्पनिक आग की सूचना दी गई और उसके तुरंत बाद बचाव कार्य प्रारंभ किया गया। अस्पताल कर्मियों ने तुरंत आग बुझाने के यंत्रों का उपयोग किया, मरीजों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की प्रक्रिया अपनाई, और आग की सूचना को संबंधित अधिकारियों तक पहुँचाया।
मॉक ड्रिल के दौरान जिला प्रशासन ने सभी विभागों की समन्वय क्षमता और त्वरित प्रतिक्रिया का परीक्षण किया। पुलिस ने अस्पताल में भीड़ नियंत्रण, बाहरी सहायता और रास्तों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया। इसके अलावा ड्रिल में आग बुझाने के उपकरणों के सही प्रयोग और आपातकालीन निकासी मार्गों की उपयोगिता की भी समीक्षा की गई।
ड्रिल में अस्पताल के कर्मचारियों, नर्सिंग स्टाफ और सुरक्षा कर्मियों ने सक्रिय भागीदारी दिखाई। उन्होंने दिखाया कि किसी भी आपात स्थिति में कितनी तेजी और कुशलता से मरीजों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा सकता है। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि इस अभ्यास से कर्मचारियों की जागरूकता और दक्षता में वृद्धि हुई है।
जिला कलेक्टर ने कहा कि “अस्पताल में किसी भी आपात स्थिति का सामना करने के लिए तैयारी बेहद जरूरी है। मॉक ड्रिल के माध्यम से हम न केवल कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं, बल्कि मरीजों और आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रक्रिया को भी मजबूत कर रहे हैं।” उन्होंने सभी विभागों को निर्देश दिए कि नियमित अंतराल पर ऐसी ड्रिल का आयोजन किया जाए ताकि कर्मचारियों की तत्परता हमेशा उच्च स्तर पर बनी रहे।
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि “आपातकालीन परिस्थितियों में समय पर प्रतिक्रिया और सही समन्वय ही किसी भी बड़े हादसे को रोक सकता है। इस मॉक ड्रिल से हमें यह पता चला कि हमारे प्रयास और प्रशिक्षण में किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है।”
अस्पताल प्रशासन ने मॉक ड्रिल के बाद कर्मचारियों के साथ समीक्षा बैठक भी की। इसमें यह देखा गया कि ड्रिल में कितनी तेजी से काम हुआ, किन क्षेत्रों में देरी हुई और भविष्य में इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
स्थानीय नागरिकों और मरीजों ने भी इस अभ्यास की सराहना की। उनका कहना था कि इससे न केवल अस्पताल के कर्मचारियों की दक्षता बढ़ी है, बल्कि आपातकालीन परिस्थितियों में मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की क्षमता भी मजबूत हुई है।
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