देहरादून। उत्तराखंड के राजकीय अतिथि आचार्य श्री 108 सौरभ सागर महामुनिराज ने गांधी रोड स्थित जैन धर्मशाला में संगीतमय कल्याण मंदिर विधान के दौरान प्रवचन में कहा कि जीवन के हर पड़ाव—जन्म से लेकर मृत्यु तक—भगवान का नाम लेना अनिवार्य है।
सौरभ सागर महामुनिराज ने कहा कि बच्चे का जन्म, स्कूल प्रवेश, व्यापार शुरू करना, विवाह, नई गाड़ी खरीदना—हर अवसर पर भगवान का स्मरण होता है। जो भगवान को अपने साथ रखते हैं, वे भाग्यवान होते हैं, जबकि भगवान को भूलने वाले का भाग्य भी उनसे रूठ जाता है।
आचार्य ने उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान पार्श्वनाथ ने कमठ के बार-बार के अपराधों को क्षमा किया, जो बिच्छू के समान था। बिच्छू का डंक जहरीला होता है, लेकिन अनुसंधान से उसे औषधि में बदला जा सकता है। पार्श्वनाथ में यह कला थी, जो कमठ के जहर को भी औषधि में परिवर्तित कर रही थी।
यह विधान 30 जुलाई तक चलेगा, जिसमें भक्त बड़े उत्साह से 23वें तीर्थंकर चिंतामणि भगवान पार्श्वनाथ की आराधना कर रहे हैं। आज के विधान के पुण्यार्जक जैन मिलन पद्मावती और श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर क्लैमनटाउन रहे।
आठवें दिन के कार्यक्रम में मीडिया को-ऑर्डिनेटर मधु जैन और अमित जैन ने बताया कि वर्षा ऋतु में भक्तों को धर्म के लिए अधिक समय मिलता है और साधु-संतों का समागम उनके लिए सौभाग्य की बात है।
You may also like
मां-बेटी एकसाथ हुई प्रेग्नेंट, डिलीवरी भी एक ही दिन हुई, डॉक्टरों ने बताया कुदरत का करिश्मा`
आटे को कीड़ों से बचाने के लिए किचन में मौजूद इन चीजों का करें इस्तेमाल`
दाढ़ी और मूंछों के सफेद होने के कारण और घरेलू उपाय
गाड़ी का नंबर डालकर कर सकते हैं फास्टैग रीचार्ज, जान लें पूरा प्रोसेस`
एलिसे पेरी: क्रिकेट की सबसे अमीर और खूबसूरत महिला खिलाड़ी